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इस सुबह की हलकी ठंडी हवा थी, पत्तियां हलकी हलकी हिल रही थी

और आस्मान में सूरज की किरने धीरे धीरे फैल रही थी

नेहा एक युवा पत्रकार अपनी दौर पूरी करने के बाद

बेंच पर बैठी थी उसकी सांसें अब स्थिर हो चुकी थी

लेकिन मन कहीं दूर था, वह हाल ही में एक ऐसे संबंद से बाहर आई थी

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