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सुबह मेरी हलकी सी मींद खुली, घरी में सारे आठ बज रहे थे।
मोनी अपना सर मेरी कंदे पर रख कर, घुटने मोड कर एक तान मेरे उपर रख कर,
मेरे सीने पर हाथ रख के मुझसे चिपक कर गहरी मींद में सो रही थी।
हम दोनों एक ही कंबल ओडे हुए थे। मैं भी बिना कुछ ज्यादा सोचे उस मींद का आनन्द लेने पुना सो गया।
फिर पता नहीं कब मेरी मींद खुली, मैंने घरी में समय देखा।