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ये उस वक्त का घटना है, जब बाजशायन ने अपने सास्त्रत देख कर सास्त्रों की घ्यान ले रहे थे।
भरत-बर्षय की विधाताओं में एक्ता का प्रभाब था।
और मानब, बक्षी और राक्षों से भरे थे मत्रिभुमी।
राणी मधुमती, जो सुर्या क्या आरधना करती थी सिसुकाल से,
उसे पता चला कि राजा का पहला विवा हो चुका है,