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दस मिनेट की तो नमाज होती है. उसमें भी कभी दाए, कभी बाए, कभी सामने.
हद हो गई है. पता नहीं अपनी मा के पेट के अंदर नौ महिने कैसे रहे थे तो.
सबर नाम की कोई चीज होती है या नहीं?
अरे याद जब तुम नमाज पढ़ती हो ना, मैं बहुत अकेला पढ़ जाता हूँ.
पता नहीं क्या हो जाता है तुम्हें?